इश्क इश्क होता है

आज ये इश्क पकड़ में आ ही गया। मैं कुछ समय से यही सोच रहा था कि यह इतना बोरिंग सा, ऐकडेमिक सा हो कैसे हो गया है। वो प्रेम भाव, सेल्फ लव, रूहानी जोड़, वगैरह, अपनी जगह बिल्कुल ठीक है। सारी दुनिया, वो महसूस हो या महसूस ना हो, उसी पर चलती है। अब वो तो है ही। बिल्कुल ग्रैविटी की तरह नॉन controversial। बस बिल्कुल वैसा नहीं जैसा होने में जीने का मज़ा आए। वो कोई अलग फतूरी चीज़ है जो पकड़ में नहीं आ रही थी। अब क्या करे कोई इसका? मतलब मैं पूरा समझ भी रहा हूँ, इसे जी भी रहा हूँ, और यह सोच कर के फिक्रमंद भी हूँ कि अब आगे क्या ऐसा ही होगा? इतना बोरिंग?
पर आज अब सुराग मिला, तो तह तक पहुँच कर ही दम लिया। ऐसा हुआ की कुछ दिनों से सर्वाइवल इन्स्टिंक्ट पर सोच रहा था। सोच रहा था की इंसान सब कुछ सेल्फ प्रेज़र्वैशन या सर्वाइवल के लिए ही करता है। इसके अलावा कुछ है नहीं। पहले सारा ध्यान नेगेटिव खयालों पर था। जैसे अगर कोई मुझ पर वार करे, या मेरा सामान ले ले, या मुझ पर कोई आरोप लगाए, तो मेरे सेल्फ प्रेज़र्वैशन इन्स्टिंक्ट क्या होंगे? फिर एकदम खयाल आया के सेल्फ प्रेज़र्वैशन के लिए वार जरूरी हो सकता है तो उसके लिए प्यार भी तो जरूरी हो सकता है। मतलब मेरी सांस किसी के इश्क से चले। इक बार मुझ से किसी ने पूछा के प्यार क्या है? दुनिया की तमाम दलीलों के साथ मोटा एस्से नुमा जवाब दे दिया। वो, जो ना खुद को सही लगा ना उसको समझ आया। आज कई बरस के बाद समझ आया उसका जवाब।
अब जो पूछो के इश्क क्या है, तो बोलूँ
के यह वो है जो तुमसे यूं है,
के मेरे होने को तू है,
मेरे खोने को भी तू है।
मेरा गिरना, मेरा उठना,
मेरा जलना, मेरा जमना
कोई हो ना हो पर तू है।
मेरी आँखों की चमक, मेरी साँसों की खनक,
मेरे मैं को भी तू है, मेरे तू को भी तू है।
और, जी जी के मरने को और मर मर के जीने को,
जो है तो बस,मत बस कर, मेरी साँसों को बस तू है।
अगर मेरे जीने के लिए तुम, और तुम्हारे जीने के लिए मैं जरूरी हैं, तो मेरी जान, यही इश्क है। मैं तुमको और तुम मुझको सांस रहने तक पूरे ना पड़ें, यही इश्क है। तुम मुझे कोइ जादू से लगो, और मैं तुम्हारे मुस्कुराने का सबब रहूँ, यही इश्क है। और यह कप पी पी भर भर छलकता रहे तो यही इश्क है। इसमें सब लग खप जाएगा और इससे रत्ती कम नहीं। इससे 19 नहीं चलेगा, 21 ही होना होगा, और कुछ नहीं। इसमें बदन भर खरोंचें हैं और छिली हुई साँसे रहेंगी, और फिर भी राहत ना मंजूर होगी…
सारी ज़िंदगी रहेगा? पता नहीं, पर चाहें एक पलक भर भी हो, भरपूर बेबाक बेइंतिहा हो। यही वाला इश्क इश्क है। बस यही है ।